Wednesday, December 31, 2008

मिलन !!!

" ये अल इंडिया रेडियो का मिर्जापुर स्टेशन है और आप सुन रहे है कार्य क्रम छाया गीत .......अगले गाने की फरमाइश की है शाजापुर से रमेश, महेश, दिनेश और सुरेश ने, रहीमनगर से मोना, सोना और अरुणा ने और मिर्जापुर से जीनत , सलमा , नगमा और उनके साथियों ने "

" आज हो रहा है मिलन दो सितारों का इस ज़मीन पे !!!"

" है कब से सुनना चाहते थे हम इस गाने को हैं नसलमा? " वाकई .....वैसे जीनत तू कुछ पूछ रही थी न हमसे ? " सलमा ने कहा.....

" सलमा..बता न जैसा मेरे दिल का हाल है क्या उन भी हाल ऐसा ही है ??? या उन्होंने आज तक हमें देखा ही नही ????"
एक वो ईद की शाम थी एक आज की शाम है पुरे पन्द्रह दिन हो गए है....हमें न भूक हैं न प्यास.......बस उनके एक दीदार को तरस रहे हैं हम.....न जाने क्यूँ हमने उन्हें उस शाम सजदा करते देखा और उसके बाद नस्सेम बी के बेटे को दुलारते हुए मुस्कुराते देखा....है वो मुस्कान... शरारती आंखे और वो मज़बूत कन्धा, वो मज़बूत इरादों वाले हाथ जब रुखसार बी रास्ता पार करते हुए सहारा दे रहे थे........ तो उसी वक्त हमीं ये एहसास हो गया है की हम ता उम्र उन हाथों के मज़बूत बंधन में बंधना चाहते है.......हम चाहते हैं के जब हम दुनिया के कठिन नियमो को न सह पाये तो वे कंधे हमारा सहारा बने......जिंदगी की टेढी मेथी चढाइयों को चढ़ते हुए ये हाथ हमें थामे रहे और हमारा ज़न्नत उन आंखों की गहराईयों में हो......." सच नगमा....हमे तो मन मन ही मन उस अजनबी फ़रिश्ते को अपना हमसफ़र चुन लिया है....."
सलमा ने कहा " तू बावरी हो गई है क्या जीनत यूँ अगर हमें हमारे ख्वाबो के शेह्ज़दे असल ज़िन्दगी में मिलते रहे तो ....तो दुनिया कितनी हसीं हो जाए"
"वो ख्वाब नही हकिहत था, तुझे याद नही क्या वो ....हमने दिखाया तो था उसे, ईद की शाम तुझे और तुने ही तो कहा था....की हमारा शेह्जादा तो वाकई ईद का चाँद निकला......."


" आपा ...अम्मी ने जारा को बुलाया और हम दोनों को आज...." ये zara भी न...कोई काम बोलो इसे सारा घर सर चढा लेती है....." आते है !"..हमने बड़ी ही बेरुखी से जवाब दिया !

" अम्मी आपने याद फ़रमाया हमें?" ....."हाँ बेटा.....कुछ ज़रूरी बातें करनी है आपसे....."बेटा अब समय आ गया है की आप अपनी सहेलियों का साथ अलावा कभी खभर हमरी भी थोड मदद कर दिया करने घर के कामो में !!!! " वो तो हम करते हैं न अम्मी ?" अच्छा सुनी हमने जिस लिए आपको बुलाया था ...वो ये है के ...... थोडी देर में आपको देखने लड़के वाले आन वाले है "....."&^^%%@#!!$#% क्या लड़के वाले ??? क्यूँ???" हम तो अभी तक १९ साल के ही हैं अम्मी .....अभी तो पढ़ाई भी पुरी नही हुई हमारी !!! नही हमें निकाह नही करना....या अल्लाह आप कैसे भी को रोक दे......"नही अम्मी...हम तैयार नही है अभी...."" बेटा इस उमर में तो हम आपके अम्मी बन चुके थे ..."वैसे भी जीनत हम आपकी मर्ज़ी नही पूछ रहे है बेटा...आपको बता रहे है.... आपके अब्बू के दोस्त के बेटे हैं दिल्ली में रहते है...नाम राहील है....एन्जीनीर है....अच्छा कमाता है... दिखने सुनने भी अच्छा है और सबसे...बड़ी बात में है ये है के वो हमारे जानने वालो में है.....बेटा आप खुश रहेंगी राहिल के साथ .....

हम दौड़ के अपने कमरे की तरफ़ भागते है....आंखों से आंसू रुकने का नाम नही ले रहे है...क्यूंकि अब हमारा दिल हमारा है ही कहाँ जो सुनेगा हमारी....उस अनजाने अजनबी की मोहब्बत में हम ऐसे खो गए है मनो उन्ही से ही है बनी ज़िन्दगी हमारी ! खैर हम अब्बू को नाराज़ नही कर सकते....तो हमें राहिल से तो मिलना ही पड़ेगा........ पर कैसे ? कैसे भूलेंगे हमारे उस अजनबी शहजादे को ...जिससे मिले बिना ही हम अपना दिल दिमाग.....दिन का चैन और रातों की नीद दे चुके हैं !!!!

अब्बास भाई भी आज जल्दी आ गए दुकान से... अम्मी भी जुटी है शाम से रसोईमें, नजमा बी ने पुरे घर को इतर की भीनी खुशबु से महका दिया है......और हमारी सहेलियो ने भी हमें इस गुलाबी शरारे में किसी फर्नीचर की दुकान में लायी हुई नए सोफे की तरह सजा दिया है..... हम यही सब सोच रहे थे की...जारा आ गई फुदकती हुई..और कहने लगी आपके ख्वाबो के शेह्जादे तशरीफ़ फरमा चुके हैं ...और अम्मी ने आपको निचे ले जाने के लिए कहा है हमसे....( हमारा दिल तो चाह रहा था के भाग जाए हम इस अमानत मजिल से !!! अगर अब्बू के izzat का ख्याल न होता तो आज इस काम को भी अंजाम दे चुके होते हम !!)

जैसे जैसे कदम bऐथक की और बढ़ रहे है ... हमारे दिल में वो ajeeb सा एहसास बढ़ता ही जा रहा है ....वही एहसास है जो ...जो हमें पहली बार हवाई जहाज में बैठते वक्त हुआ था...वही अहसास है जो मेले में नाव वाले झूले पे बैठने से होता है.....हमें तो बिल्कुल ऐसा अह्सुस हो रहा है जैसे हम अभी परीक्षा हाल में बैठे हैं और पेपर सामने वाले टेबल पैर रखा हो....अजीब सी बेचैनी है ...घबराहट है.... खुदा कसम...पहले तो कभी ऐसा न हुआ था हमारे शाथ !!!

हम सर झुके पलकें नीची कर पहुचते है बैठक पे और अम्मी के बाजु में बैठते हैं..उन्ही झकी आँखों के कनखियों से हम झाँक कर देहने की ओशिश की तो ..समझ आया की राहिल मिया के साथ उनके अब्बू और अम्मी भी आए हुए हैं ......" जीनत बेटा हमारे करीब आइये " .....उनकी अम्मी ने कहा...

हमें बहुत डर लग रहा था...ऐसा लग रहा था मनो bio के प्रक्टिकल परीक्षा में विवा देने गए हो और कुछ याद न आ रहा हो...." बेटा ये हैं हमारे साहबजादे...राहिल ....... " अस्सलाम वालेकुम " " वालेकुम अस्सलाम" दिल्ली में काम करते है..आप इनसे कुछ गुफ्तगू करना चाहेंगी..अकेले में....( हमने अपनी पलके उठाई...और राहिल की और उसके बाद जो हुआ उसका तो खुदा कसम न ही हम बता सकते हैं हमने देखा ...हमारे सामने हल्की नीली धरीयों वाले कमीज़ पहने...वो फ़रिश्ता बैठा है जिसकी इबादत ने हमें पिछले एक पखवाडे से जगा रखा है..... वही गालो के गड्ढे वही शराती आंखें जो अब कुछ शांत सी है...वही सफ़ेद झरने सा रंग और चेहरे में वही कशिश जिसमे हम इतने दिनों से khoye हुए है.....या अल्लाह...हमने अपने जागते हुए सपने में भी कभी नही सोचा था के आप हमसे इतनी मुहब्बत करते है है की हमारी दुआ को इस तरह कबुल फर्मेंगे !!!

राहिल ने हमारी और देखा और हलके से मुस्कुराए .......उनके मुस्कान इस अंदाज़ का तो क्या कहना ....... घायल तो हम पहले से ही थे...........अब और भी ज़ख्मी हो गए है................उन्होंने हमसे कुछ नही कहा.....शायद उन्हें इस बात का इल्म था की उनका मुस्कुराना ही काफी है हमारे लिए !!!



नही हुम ॥भी कुछ नही कह पे......न ही कुछ बोल पाए हमारे खुशियों को जैसे पर लग गए हो....हमे ऐसा लग रहा था...जैसे एक नई ज़िन्दगी मिल गई हो.....शुक्रिया...शुक्रिया...या अल्लाह लाख लाख शुक्रिया...!!!


शाम हो आई है...अभी तक ये हमारी साडी नही बंधी गई है...कब तैयार होंगे हम..बारात निकल चुकी है....बस अब कुछ हमारी पल में हम उनके हो जाएँगे जिनसे हमारा नाता महीनो ,बरसो या सदियों का नही है...यह नाता जन्मो का है....ये व खुबसूरत रिश्ता है जो दो अधूरे इंसानों की अधूरी जिन्दिगियों को पुरा कर देगा ...जो उन दो रूहों को एक करेगा जो बने है एक दुसरे के लिए.....अब हमसे इंतज़ार नही होता.....


हम दोनों के बीच में फूलो की चादर लगी हुई है.....जारा , शन्नो और सलमा हमारा हाथ पकड़ के बैठी है ...मौलवी साहब ने कहा.....राहिल खान....वलीद महबूब खान क्या आपको जीनत अली वालिदा इमरान अली से निकाह १००० रूपी मेहराना काबुल है.......... " कबूल है " " कबूल है" कबूल है "

" कबूल है" कबूल है" कबूल है"...हमें भी ये रिश्ता !


फूलों से सजी है सेज, और धडकनों की आवाज़ सुनाई दे रही है जैसे कह रही हो...ये इंतज़ार अब न हमसे होगा....दिल में हलचल हैं और मन ख़ुद ही ख़ुद के काबू में नही हैं.... धीमे कदमो से राहिल तशरीफ़ लाते है इस अरमानो के ख्वाबगाह में, सजाते है हमारी मोहब्बत की सेज अपने चाहतो के गुलाब से...बिखेरते हैं अपनी मुस्कराहट की रौशनी हमारी आंखों की गलियों में ...और हमें एहसास होता है जैसे दूर कहीं किन्ही गलियों में गा रहा हो कोई........

" आज हो रहा है मिलन दो सितारों का इस ज़मीन पे !!!"

12 comments:

  1. a nice attempt to sketch the innocent feelings..weighted by proper urdu which gives the glimps of enviornment..!

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  2. Humm, its nice, but quite doesn't match the excellence of your first attempt, may be it wasn't the post but the way you narrated it to me ;-))

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  3. हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, नियमित लिखें… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, यह अनावश्यक है… धन्यवाद।

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  4. प्रेरणा जी
    आपका हार्दिक स्वागत है।

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  5. आप भी आ गए...............तो आपका भी स्वागत है......आपका यह संस्मरण तो भाई अच्छा ही लगा.....बस सुनाते रहे....हम मज़ा लेते रहेंगे....बस और क्या...!!

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  6. achchha hai, jaaree rakhe.

    -----------------------------"VISHAL"

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  7. aapka swagat hai....
    waise bahut sundar likha hai....i like ur kind of langauge ...keep it up and please most welcome at my blog.....

    Jai ho magalmay ho

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  8. ब्लोगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है. मेरी कामना है की आपके शब्दों को नई ऊंचाइयां और नए व गहरे अर्थ मिलें और विद्वज्जगत में उनका सम्मान हो.
    कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर एक नज़र डालने का कष्ट करें.
    http://www.hindi-nikash.blogspot.com

    सादर-
    आनंदकृष्ण, जबलपुर.

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  9. u know u are making me read hindi all over again after 10th std.
    good post.

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  10. रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति

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  11. Golu bahut Heavy Likh diya hai aapne...Kahani Filmi hai par bahut sahi hai..Radio se jo Muslim Family mein Entry mari hai...Jo Andaaz yeee Bayan..hai...Gaane ki Farmaaish ko jo link kiya hai Salma ki life se Subhaan Alla..Auur Sara Romance jo Jaise Ek Para jo meine aapse kaha vo toh describe hi nahi kiya ja sakta hai...Poora taste hi change kar diya...Ultimate...Words nahi hai...Koi Galti samjh mein nahi aa rahi hai...For a change its Rocking !!!

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